वर्ष 1900 में ओलंपिक
भारत ने पहली बार वर्ष 1900 में ओलंपिक में हिस्सा लिया था। पेरिस में आयोजित इस ओलंपिक में नॉर्मन प्रिचार्ड ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वह ब्रिटिश भारत के एकमात्र खिलाड़ी थे और उन्होंने दो रजत पदक जीते थे, जो भारत के लिए ओलंपिक इतिहास में पहला पदक जीतने का मौका था।
1900 के बाद भारत ने 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में एक बार फिर से भाग लिया। 1928 में, भारत की हॉकी टीम ने पहला स्वर्ण पदक जीता, जो एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद भारत ने हॉकी में एक समय तक दबदबा बनाए रखा और 1932, 1936, 1948, 1952, 1956 और 1964 के ओलंपिक में लगातार स्वर्ण पदक जीते।
हॉकी के बाद, भारत का प्रदर्शन व्यक्तिगत खेलों में भी धीरे-धीरे सुधरने लगा। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में के. डी. जाधव ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता, जो स्वतंत्र भारत के लिए व्यक्तिगत खेलों में पहला पदक था।
1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने आखिरी बार स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन गिरावट पर रहा, लेकिन व्यक्तिगत खेलों में भारत ने नई ऊंचाइयों को छुआ।
2000 सिडनी ओलंपिक
2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता, जो भारतीय महिलाओं के लिए ओलंपिक में पहला पदक था। 2004 के एथेंस ओलंपिक में, राज्यवर्धन सिंह राठौर ने निशानेबाजी में रजत पदक जीता, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
2008 के बीजिंग ओलंपिक
2008 के बीजिंग ओलंपिक में, अभिनव बिंद्रा ने निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीता, जो व्यक्तिगत खेलों में भारत का पहला स्वर्ण पदक था। इसके साथ ही भारत ने पहलवानी में सुशील कुमार और बॉक्सिंग में विजेंदर सिंह के रूप में दो और कांस्य पदक जीते।
2012 के लंदन ओलंपिक
2012 के लंदन ओलंपिक में भारत ने 6 पदक जीते, जो अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। ये पदक निशानेबाजी, पहलवानी, बॉक्सिंग, बैडमिंटन और एथलेटिक्स में जीते गए थे। 2016 के रियो ओलंपिक में, भारत ने 2 पदक जीते: पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन में रजत और साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता।
2020 के टोक्यो ओलंपिक
2020 के टोक्यो ओलंपिक में, भारत ने कुल 7 पदक जीते, जो अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता, जो एथलेटिक्स में भारत का पहला स्वर्ण पदक था। इसके अलावा, मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में रजत, लवलीना बोरगोहेन ने बॉक्सिंग में कांस्य, रवि दहिया ने कुश्ती में रजत, बजरंग पुनिया ने कुश्ती में कांस्य, पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन में कांस्य और भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता।
भारतीय खिलाड़ियों का ओलंपिक में प्रदर्शन समय के साथ सुधारता गया है। खेलों में सरकार और प्राइवेट संस्थानों के सहयोग ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रशिक्षण सुविधाओं का विस्तार और खेल विज्ञान का उपयोग खिलाड़ियों को उच्च स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद कर रहा है।
पेरिस 2024 ओलंपिक
आने वाले पेरिस 2024 ओलंपिक में भारत से उच्च उम्मीदें हैं। सरकार और खेल संघों ने खिलाड़ियों के लिए विशेष तैयारी शिविर और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। विशेष ध्यान कुश्ती, निशानेबाजी, बैडमिंटन, भारोत्तोलन, हॉकी और एथलेटिक्स पर दिया जा रहा है।
खेलों में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। पी. वी. सिंधु, मीराबाई चानू, साक्षी मलिक जैसी खिलाड़ियों ने अपनी उपलब्धियों से देश का गौरव बढ़ाया है और नई पीढ़ी को प्रेरित किया है।
2024 के पेरिस ओलंपिक में भारत के पास पदक तालिका में और ऊपर चढ़ने का अच्छा मौका है। नीरज चोपड़ा, पी. वी. सिंधु, मीराबाई चानू, और कई उभरते खिलाड़ियों से उम्मीदें हैं कि वे अपने प्रदर्शन से देश को गर्वित करेंगे।
भारत का ओलंपिक सफर संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। नॉर्मन प्रिचार्ड से शुरू होकर नीरज चोपड़ा तक, यह सफर भारतीय खेलों की विकास यात्रा को दर्शाता है। भारतीय खिलाड़ियों की मेहनत और दृढ़ता ने देश को ओलंपिक में एक मजबूत पहचान दिलाई है। भविष्य में, बेहतर प्रबंधन, प्रशिक्षण और सुविधाओं के साथ, भारत के पास ओलंपिक में और अधिक सफलताएँ हासिल करने का अच्छा अवसर है।