हाल के वर्षों में, भारत में पुरानी कारों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस उछाल का मुख्य कारण आर्थिक अनिश्चितता, बजट के प्रति जागरूकता, और नई कारों की ऊंची कीमतें हैं। नौकरीपेशा वर्ग, जो अक्सर अपने खर्चों को नियंत्रित करने की कोशिश करता है, इस बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा बन गया है। देश के कुछ प्रमुख शहरों में पुरानी कारों की मांग सबसे अधिक है।
1.आर्थिक अनिश्चितता कोविड-19 महामारी के बाद, कई लोग अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में सोचने लगे हैं। नई कारों की उच्च कीमतों के मुकाबले, पुरानी कारें किफायती विकल्प प्रदान करती हैं।
2.बजट फ्रेंडली विकल्प पुरानी कारें नई कारों की तुलना में सस्ती होती हैं, जिससे वे नौकरीपेशा लोगों के बजट में आसानी से फिट हो जाती हैं। साथ ही, पुरानी कारों पर ऋण लेने की सुविधा भी आसान हो गई है।
3.विविधता और विकल्प पुरानी कार बाजार में विभिन्न ब्रांड और मॉडल उपलब्ध होते हैं, जिससे खरीदार अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार कार चुन सकते हैं।
4.कम डिप्रीसिएशन: नई कारों के मुकाबले, पुरानी कारों का मूल्य कम तेजी से घटता है, जिससे उनकी पुनर्विक्रय मूल्य बेहतर होता है।
नौकरीपेशा वर्ग की भूमिका
पुरानी कारों की बिक्री में नौकरीपेशा वर्ग की हिस्सेदारी लगभग 48% है। यह वर्ग निम्नलिखित कारणों से इस बाजार की ओर आकर्षित हो रहा है:
1.आर्थिक स्थिरता नौकरीपेशा लोग अपनी मासिक आय और खर्चों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेते हैं। पुरानी कारें उनके लिए एक स्थिर और सुरक्षित निवेश का विकल्प प्रदान करती हैं।
2.ऋण की सुविधा आजकल बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा पुरानी कारों पर भी लोन की सुविधा प्रदान की जा रही है, जिससे इन्हें खरीदना आसान हो गया है।
3.ऑफिस कम्यूट नौकरीपेशा लोग अक्सर ऑफिस आने-जाने के लिए कार की जरूरत महसूस करते हैं। पुरानी कारें उनके दैनिक यात्रा खर्चों को कम करती हैं।
भारत के कुछ प्रमुख शहरों में पुरानी कारों की मांग सबसे अधिक है। इनमें से कुछ शहर इस प्रकार हैं:
1.दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुरानी कारों की बिक्री में भारी उछाल देखा गया है। यहां पर लोग अपनी जरूरतों और बजट के अनुसार पुरानी कारों को खरीद रहे हैं।
2. मुंबई में भी पुरानी कारों की मांग में काफी वृद्धि हुई है। यहाँ का मिडिल क्लास और नौकरीपेशा वर्ग पुरानी कारों को प्राथमिकता दे रहा है।
3.बेंगलुरु आईटी हब बेंगलुरु में युवा पेशेवर और तकनीकी कर्मचारियों के बीच पुरानी कारों की मांग अधिक है।
4.चेन्नई में भी पुरानी कारों की बिक्री में उछाल देखा गया है। यहाँ के लोग भी बजट फ्रेंडली विकल्प की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
5.पुणे में शिक्षा और आईटी क्षेत्र के कर्मचारियों के बीच पुरानी कारों की लोकप्रियता बढ़ी है।
पुरानी कारों के बाजार में वृद्धि का सीधा असर व्यापार पर भी पड़ा है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे Cars24, OLX Autos, और अन्य ने इस वृद्धि को सुविधाजनक बनाया है। इन प्लेटफार्म्स पर कार की स्थिति, मूल्य, और अन्य विवरण आसानी से उपलब्ध होते हैं, जिससे खरीदारों को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
पुरानी कारों की बिक्री में वृद्धि का एक और पहलू पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी जुड़ा है। पुरानी कारों को पुनः उपयोग में लाने से नए वाहनों के उत्पादन और उससे होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही, पुराने वाहनों को अपग्रेड कर उन्हें अधिक पर्यावरण मित्रवत बनाया जा सकता है।
हालांकि पुरानी कारों के बाजार में वृद्धि हो रही है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं:
1.कार की स्थिति : खरीदारों को कार की वास्तविक स्थिति के बारे में सही जानकारी मिलनी चाहिए। इसके लिए योग्य मैकेनिक से कार की जांच कराना महत्वपूर्ण है।
2.वॉरंटी और सर्विस: पुरानी कारों पर वॉरंटी और सर्विस का मुद्दा भी एक चुनौती है। हालांकि कई डीलरशिप अब पुरानी कारों पर वॉरंटी प्रदान करने लगी हैं।
3.रिजेल वैल्यू पुरानी कारों की पुनर्विक्रय मूल्य भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे खरीदारों को ध्यान में रखना चाहिए।
पुरानी कारों की बिक्री में उछाल और नौकरीपेशा वर्ग की इसमें बढ़ती हिस्सेदारी भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इस वृद्धि से न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभ हो रहा है। प्रमुख शहरों में बढ़ती मांग और ऑनलाइन प्लेटफार्म्स की सुविधा ने इस बाजार को और भी सुलभ बना दिया है। इस प्रकार, पुरानी कारों का बाजार भविष्य में और भी व्यापक हो सकता है, जो विभिन्न वर्गों के लोगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा।